ट्रैवलर तुषार द्वारा शेयर किया लेह लदाख की यात्रा का यह ट्रवेलोग पढ़ें और जानें की उनका अनुभव कैसा रहा।
लद्दाख की यात्रा काफी समय से मेरी योजनाओं में थी और आखिरकार पिछले साल, इस योजना ने आकार लिया। जब रोमांच का अनुभव करने की बात आती है, लेह लद्दाख के शानदार परिदृश्य को कोई नहीं हरा सकता है। हमारे लैंड करने से पहले ही लेह लद्दाख की प्राकृतिक सुंदरता शुरू हो जाती है। पूरा क्षेत्र पहाड़ों, बर्फ, झीलों से घिरा हुआ है।
पहला दिन
कुशोक बकुला रिनपोचे हवाई अड्डे पर प्रातः काल पहुंचते ही प्रीपेड टैक्सी हमारे इंतजार में बाहर खड़ी थी। देबाशीष हमारे टूरिस्ट गाइड ने सारी व्यवस्था पहले ही कर रखी थी। लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्र में वातावरण से शरीर को अनुकूलित करने के लिए एक दिन आवश्यक होता है। इसके बाद हम होटल के लिए रवाना हुए और रात भर आराम किया। इसी दौरान हमारी टूरिस्ट गाइड देवाशीष ने हमें सूचित किया कि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया है और साथ ही सुरक्षा हेतु संचार के सारे साधन बंद कर दिए हैं यह हमारे लिए एक अनोखी घटना थी।
दूसरा दिन
सुबह के नाश्ते के बाद हम सबसे पहले शांति स्तूप के लिए रवाना हुए। यह पहाड़ियों में घिरा एक बुद्धिस्ट स्तूप है। इस जगह पर एक सुंदर शांति का अनुभव हुआ मैंने इससे पहले इतना साफ़ नीला आसमान कभी नहीं देखा था इसके बाद हम सिंधु नदी के लिए रवाना हुए जहां पर हमें रिवर राफ्टिंग करनी थी। बीच रास्ते में मैग्नेटिक फील्ड को पार करने के बाद हमने एक ढाबे पर विश्राम किया जहां पर हमने स्थानीय व्यंजनों जैसे थूपका, नूडल्स का लुफ्त उठाया। इस ऊंचाई पर भी खाना काफी स्वादिष्ट था। इसके बाद हमने हॉल ऑफ फेम की यात्रा की। हॉल ऑफ फेम भारतीय सेना द्वारा बहादुर भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया एक संग्रहालय है, जिन्होंने भारत-पाक युद्धों में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन लगा दिया।
तीसरा दिन
हम नुब्रा घाटी के लिए रवाना हुए। इसकी ऊँचाई और यहाँ पाए जाने वाले रेत के टीलों के कारण, इस दूरस्थ जगह को अक्सर आकाश में रेगिस्तान के रूप में भी जाना जाता है। नुब्रा घाटी का मार्ग प्रसिद्ध खारदुंग ला से होकर जाता है। लगभग 18000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर, खारदुंग ला दर्रा दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क हैं। नुब्रा वैली पहुंचने के बाद हमने यहां ऊंट की सवारी और तीरंदाजी का लुफ्त उठाया। यह जगह भी पूरी पर्यटकों से भरी हुई थी।
चौथा दिन
लद्दाख यात्रा का सबसे सुंदर पड़ाव यानी पैंगोंग त्सो झील के लिए हम रवाना हुए। यह झील लगभग 14000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील पर पहुंचने के लिए एक इनर परमिट की जरूरत होती है जो आसानी से किसी भी होटल में उपलब्ध है, पैंगोंग से कुछ दूरी पहले एक आर्मी एरिया है, जहां हमें आर्मी के पास इनर परमिट जमा करना होता है। पैंगॉन्ग झील की ओर जाने वाले रास्ते में चांग ला पास पार करते समय आपको मर्मोट्स और जंगली घोड़े देखने मिलेंगे। यहां के मर्मोट्स विश्व में सबसे बड़े मूषक होते हैं। इस क्षेत्र को पार करते समय एक जगह पानी के बहाव से हमारी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। सौभाग्य से, हम हेलमेट और मोटी जैकेट के कारण बच गए। पर पैंगोंग त्सो झील का पहला दृश्य देखने के बाद हम अपनी दुर्घटना के बारे में पूरी तरह भूल चुके थे। यहां आपको फेमस करीना स्कूटर देखने मिलेगा जिसके साथ फोटो खिंचवाने पर आपको ₹50 से ₹100 देने होंगे। पैंगोंग में हमने रात भर एक टेंट में विश्राम किया। रात में तारों से भरा आसमान देखने का अनुभव एक अमिट याद बनकर अभी भी मन में है।
पांचवा दिन
हम वापस लेह के लिए रवाना हुए। पैंगोंग से वापस आते समय हमने पुनः चांगला पास पार किया, उसका एक दृश्य:
लेह पहुंचने के बाद हमने कुछ खरीदारी की, यहां की पशमीना शॉल बहुत प्रसिद्ध होती है।
एक समय नामग्याल राजवंश द्वारा शासित लद्दाख एक अनोखी जगह है, इसे जीवन में एक बार जरूर देखना, महसूस और अनुभव करना चाहिए।